You are here
Home > Career न्यूज़ > अशोका इंस्टीट्यूट में एमबीए स्टूडेंट्स के बीच एक्सटेंपोर स्पीच

अशोका इंस्टीट्यूट में एमबीए स्टूडेंट्स के बीच एक्सटेंपोर स्पीच

बारूद के ढेर पर बैठी दुनिया में अब ग्रीन मार्केटिंग वरदान

वाराणसी। अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट के एमबीए स्टूडेंट्स के बीच कराई गई एक्सटेंपोर स्पीच में फौजिया खातून ने प्रकृति को बचाने के लिए ग्रीन मार्केटिंग पर जोर दिया। फौजिया का कहना था कि आज पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण के बारूदी ढेर पर बैठी है। अब ऐसे उत्पादकों को अहमियत दी जाने लगी है जिससे पर्यावरण को किसी तरह की हानि न पहुंचे। उत्पादों की पैकिंग भी ईको फ्रेंडली बनाने की कोशिश की जानी चाहिए।

एमबीए के विभागाध्यक्ष राजेंद्र तिवारी के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में फौजिया खातून ने पर्यावरण प्रदूषण के खतरे से लोगों को जागरुक पर बल दिया और कहा कि हमें अपनी मार्केटिंग में हरित वस्तुओं को जोड़ने की जरूरत है। इस तरह की मार्केटिंग को हरित विपणन, ग्रीन मार्केटिंग, ईको मार्केटिंग के रूप में जाना जाता है। ग्रीन मार्केटिंग अपने आप में एक अनूठी मार्केटिंग है। ग्रीन शब्द के इस्तेमाल का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन पर्यावरण को किसी तरह की हानि पहुंचाये बिना किया जाता है और उन प्रोडक्ट की सामग्री और पैकेजिंग भी पर्यावरण के अनुकूल ही होती है।


फौजिया खातून ने बताया कि ग्रीन मार्केटिंग का जन्म 1980 और 1990 के दशक के बीच उस समय हुआ जब उद्योगों ने बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के प्रति अपनी चिंता जताना शुरू किया था। ग्रीन मार्केटिंग केवल ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें बहुत सी महत्वपूर्ण वस्तुएं शामिल है। आज के जमाने में अधिकांश लोग पर्यावरण को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं और वे पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति चिंतित होते जा रहे हैं।

ग्रीन मार्केटिंग से पहला और सबसे अधिक महत्वपूर्ण लाभ यही मिलता है कि कंपनी या आर्गेनाइजेशन की साख बढती है। किसी भी संगठन या कंपनी को लम्बे समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए अच्छी छवि की आवश्यकता होती है। एक कंपनी अपने सकारात्मक दृष्टिकोण से न केवल मार्केट में अधिक से अधिक ग्राहक को ही आकर्षित करती है बल्कि अपनी बढ़ती साख से बिजनेस पार्टनर्स को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। यदि आप अपने संगठन या कंपनी की साख तेजी से बढ़ाना चाहते हैं तो उसके लिए ग्रीन मार्केटिंग से अच्छा दूसरा कोई विकल्प हो ही नही सकता है। ईको फ्रेंडली ग्रीन मार्केटिंग प्रणाली को चुनना शुरू-शुरू में अवश्य महंगा पड़ सकता है, लेकिन यह लंबे समय तक लाभ दिलाने वाली मार्केटिंग हैं। यदि आपने अभी ग्रीन मार्केटिंग करके लाभ उठाना नहीं शुरू किया है तो देर न करें। यही आपके लिए सुनहरा मौका है।


एक्सटेंपोर स्पीच में फौजिया खातून अव्वल रहीं। इनके अलावा अविनाश सिंह ने द्वितीय और निशा सिंह ने तृतीय स्थान हासिल किया। जूरी मेंबर में असिस्टेंट प्रोफेसर स्वप्निल पांडेय और प्रेमचंद वर्मा शामिल थे। कार्यक्रम को आयोजित करने में एमबीए की असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री प्रीति राय के अलावा सुश्री पल्लवी सिंह और मो.शाहनवाज ने अहम भूमिका निभाई। इस मौके पर इंस्टीट्यूट की असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री शर्मीला सिंह, अमित सिंह, विनय तिवारी, विशाल गुप्ता, आदित्य सिंह यादव आदि प्रमुख शिक्षक मौजूद थे।

Amit Patel
Editor

Leave a Reply

Top