नए नजरिए की डिमांड करती है तरक्कीः डॉ. मनु Career न्यूज़ Breaking न्यूज़ by The Ashoka News - April 11, 2022April 11, 20220 वाराणसी। अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न स्कूल ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के प्रोफेसर डॉ. मनु के. वोरा ने कहा है किव्यावसायिक उत्थान के लिए स्मार्ट, निर्णायक और प्रभावी परियोजना प्रबंधन जरूरी है। कोई भी तरक्की नएनजरिए की डिमांड करती है। सांगठनिक तैयारी, निवेश के सही तरीकों का चयन और प्रासांगिक कौशल व्यावसायिकसफलता की कुंजी है। यह ऐसी कुंजी है जो प्रभावी परियोजना प्रबंधन के लिए एक मजबूत आधारशिला तैयार करतीहै।डॉ. वोरा सोमवार को डिजिटल प्लेटफार्म पर अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स औरटीचर्स को संबोधित कर रहे थे। भारत के नेतृहीनों के लिए मुहिम चलाने वाले डा.वोरा को अमेरिका के राष्ट्रपतिसम्मानित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी के हर सफर और हर मोड़ पर प्रभावी परियोजना प्रबंधन का महत्व है।प्रौद्योगिक विकास और बेहतर परियोजना प्रबंधन के लिए इफेक्टिव प्रोजेक्ट मैनेजमेंट अहम भूमिका निभाता है।इसके जरिए लक्ष्य हासिल करना बेहद आसान हो जाता है। इफेक्टिव प्रोजेक्ट मैनेजमेंट मील का ऐसा पत्थर है जोपेशेवर सेवाओं, परियोजना प्रबंधन संगठनों की जरूरतों को आसान गलियारा देती है। साथ ही अपने उद्योगों मेंनेतृत्व करने की योजना वाले व्यवसाय अपने प्रोजेक्ट लीडर्स को चुस्त रहने, सही तकनीकों का उपयोग करने, रुझानोंके साथ बने रहने, प्रासंगिक तकनीकी व पारस्परिक कौशल विकसित करने, भविष्य की सोच रखने वाले संगठन औरपरियोजना निदेशकों को सशक्त बनाते हैं।चेयरमैन एंड प्रेसिडेंट आफ बिजनेस एक्सीलेंस इंक के प्रोफेसर डा.वोरा ने कहा कि इफेक्टिव प्रोजेक्ट मैनेजमेंट किसीपरियोजना के लिए समर्पित दायरा, बजट, संसाधनों, कर्मियों और समयरेखा पर दृढ़ समझ विकसित करती है। कईबार रणनीतिक योग्यता के अभाव में तमाम परियोजनाएं विफल हो जाती हैं। तब काम आता है इफेक्टिव प्रोजेक्टमैनेजमेंट। किसी व्यवसाय को उसके लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहने, स्पष्ट अपेक्षाओं और दिशा के साथ एक समय मेंएक कार्य को पूरा करने के लिए स्मार्ट नेतृत्व और परियोजना प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं। परिजनाओं की सफलता औरलक्ष्य हासिल करने के लिए सबसे पहले समस्याओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें। यह काम काफी सरल लगता है,लेकिन जटिल व्यावसायिक समस्याओं से निपटन पाना आसान नहीं होता है। इसके लिए जरूरी होता है गहन शोधऔर विश्लेषण। उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छा परियोजना प्रबंधक लक्ष्य को आधार बनाकर प्राथमिकताएंनिर्धारित करता है। साथ ही कामगारों को अगले चरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ताकीद भी करता है। इफेक्टिवप्रोजेक्ट मैनेजमेंट के लिए दोतरफा संवाद और संचार जरूरी है। किसी भी परियोजना में काम करने वाले लोगों केसुझावों पर गौर करना जरूरी है। परियोजना प्रबंधक को चाहिए कि वो अपनी टीम के साथ नियमित परामर्श करे।साथ ही यह सुनिश्चित करें कि टीम के सदस्य जिन बड़े उद्देश्यों को आगे बढ़ाना चाहते हैं उनके मिशन में उनकी भूमिका बेहतर कैसे हो सकती है? प्रबंधक को कोई भी समस्या अथवा सुझाव टीम के सदस्यों के सामने लाने के लिएज्यादा प्रतिक्रियाशील होने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह, छोटी-छोटी कठिनाइयों को पकड़ना आसान हो जाताहै। ऊर्जावान कामगारों को सुनना और उनकी क्षमताओं के मुताबिक काम करना बेहद जरूरी है।स्टूडेंट्स को इफेक्टिव प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का टिप्स देते प्रो.वोरा ने कहा कि परियोनजा प्रबंधकों को सॉफ्टवेयरसमाधान और स्प्रैडशीट्स की मदद से काम करना चाहिए। किसी भी प्रोजेक्ट की एक टाइमलाइन होनी चाहिए औरयह भी देखा जाना चाहिए कि हर टीम मेंबर कितना और किसी तरह का योगदान दे रहा है। विशिष्ट परियोजनाओं पररीयल-टाइम रिपोर्ट प्राप्त करने की कोशिश और भविष्य की योजनाएं बनाते समय उसका विष्लेषण भी जरूरी है।प्रबंधन को टीम के लिए एक स्पष्ट रास्ता दिखाना चाहिए और उस रास्ते में हर कदम को ट्रैक करते हुए चलनाचाहिए। किसी परियोजना को शुरू से अंत तक कैसे प्रबंधित करना है, यह जानना एक आवश्यक कौशल है। इफेक्टिवप्रोजेक्ट मैनेजमेंट के जरिए सेना और सेटेलाइट के क्षेत्र में भारत समेत समूची दुनिया को कामायाबी मिल रही है।उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा में इफेक्टिव प्रोजेक्ट मैनेजमेंट को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करना चाहिए,ताकि शुरुआती दौर से ही स्टूडेंट्स को इसकी उपयोगिता की जानकारी हो। सेमिनार का संचालन करते हुए अशोका इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर डा.वंदना दुबे ने कहा कि हर उद्यम में कर्मचारियों कोअपनी रचनात्मकता दिखाने का अवसर मिलता है। जरूरत होती है तो सिर्फ प्रभावी परियोजना प्रबंधन की। किसी भीउद्योग के उत्थान के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि कामगारों को कब-कितना अवसर देना है और किनस्थितियों में उन पर लगाम लगना है? हर प्रोजेक्ट एक सेट स्कोप, टाइमलाइन और बजट के साथ शुरू होता है, औरजब टीम प्रोजेक्ट के दायरे से बाहर हो जाती है तो यह एक बड़ी समस्या बन सकती है। लेकिन कामगारों का बेहतरप्रबंधन लक्ष्य तक आसानी से पहुंचा देता है।सेमिनार के आरंभ में अशोका इंस्टीट्यूट की निदेशक डा.सारिका श्रीवास्तव ने मुख्य वक्ता डा.वोरा का परिचयकराया और बताया कि डा.मनु पिछले 23 साल से अमेरिका में ऑपरेशन मैनेजमेंट पढ़ा रहे हैं। इन्होंने दुनिया कीकरीब 500 कंपनियों की सहायता की है। अमेरिकन सोसाइटी फॉर क्वालिटी के पूर्व उपाध्यक्ष भी रहे हैं। साल 1989में, उन्होंने भारत, यूएसए के लिए ब्लाइंड फाउंडेशन की स्थापना की थी और अब तक 15 मिलियन से अधिक नेत्रहीनलोगों की मदद कर चुके हैं। इसके लिए एएसक्यू ने उन्हें पांच पदक से नवाजा है। साल 2015 में बीएचयू इन्हें विशिष्टपूर्व छात्र पुरस्कार भी दे चुका है।सेमिनार में गौरव ओझा, सोनी ओझा, अर्जुन मुखर्जी, मनीष कुमार ने भी विचार व्यक् किया। इस कार्यक्रम मेंबीफार्मा, एमबीए, बीटेक के करीब 350 स्टूडेंट्स और शिक्षकों ने भाग लिया। दूसरे सत्र में डा.वोरा ने स्टूडेंट्स केसवालों का जवाब भी दिया। अशोका इंस्टीट्यूट में कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष इंजीनियर अरविंद कुमार नेस्टूडेंट्स व शिक्षकों का आभार व्यक्त करते कहा कि प्रबंधन ऐसा विषय है कि पहले सोचिए, फिर काम कीजिए।सेमिनार में काशी इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स व टीचर्स भी शामिल हुए।