उत्तराखंड भू-कानून: राज्य की भूमि सुरक्षा के लिए धामी सरकार का बड़ा फैसला खेत खलिहान by The Ashoka News - October 1, 2024October 2, 20240 आपको बता दें कि आपका उत्तराखंड के भू कानून को लेकर के बातचीत बहुत समय से चलता आ रहा है राज्य बनने के बाद से ही भूमि के कानून को सुधारने और मजबूत करने की जरूरत को महसूस किया गया है इस दिशा में उत्तराखंड के कई सरकारों ने कदम उठाया लेकिन अब मुख्यमंत्री ने एक वृहद भू कानून को लाने की तैयारी को शुरू कर दिया है इस कानून का प्रथम उद्देश्य राज्य की भूमि की सुरक्षा के साथ-साथ uttarakhand bhulekh का सही इस्तेमाल और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना है। उत्तराखंड भू कानून से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु भारत लोगों के जरिए राज्य में भूमि को खरीदने पर कड़ी पप्रतिबंध लगाए गए हैं। व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट स्तर पर भी भूमि को खरीदने की एक समय सीमा तय की गई है। राज्य के स्थाई निवासियों के भूमि के अधिकारों की रक्षा के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। भू के व्यवहार की जांच और समीक्षा के लिए राज्य के राजस्व विभाग को ज्यादा सशक्त किया गया है। कृषि भूमि को गैर कृषि कामों के तब्दील होने से रोकने के लिए कठिन प्रावधान। राज्य में बाहरी लोगों के जरिए गैर कानूनी कब्ज को खत्म करने के लिए कानूनी कारवाही का भी प्रावधान किया जाएगा। उत्तराखंड सरकार ने राज्य की भूमि को बाहरी हस्तक्षेप से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में यह नया भू-कानून लागू करने का फैसला लिया गया है। इसका उद्देश्य बाहरी निवेशकों के जरिए से जमीन खरीदने में होने वाली अनियमितताओं को रोकना और स्थानीय निवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करना है। इस कानून से राज्य की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को भी सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया है। भू-कानून की शुरुआत और एनडी तिवारी सरकार का पहला कदम उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद भी राज्य में उत्तर प्रदेश के पुराने भूमि के कानून लघु थे इसके वजह से उत्तराखंड में जमीन को खरीदने पर कोई भी पाबंदी नहीं थी साल 2003 में सरकार ने सबसे पहले इस दिशा में कदम को उठाया उन्होंने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि के व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन किया और धारा 154 में बदलाव करते हुए बाहरी व्यक्तियों के लिए आवासीय इस्तेमाल के लिए 500 वर्ग मीटर की भूमि को खरीदने की अनुमति का प्रतिबंध लगाया था इस फैसले से राज्य की जितने भी भूमि है उसे पर बाहरी लोग का कब्जा काम हो सका और भूमि के अनुयोजित इस्तेमाल पर भी कुछ हद तक लगाम लगी थी। सरकार ने औद्योगिक विकास के लिए भी कदम उठाया था जिसके पास जिला अधिकारी को 12.5 एकड़ तक के कृषि भूमि को खरीदने की अनुमति देने का अधिकार दिया गया था लेकिन इसके साथ ही औद्योगिक स्वास्थ्य और चिकित्सा इस्तेमाल के लिए भूमि को खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी कर दिया गया था इस प्रावधान से राज्य में औद्योगिक विकास का समर्थन किया गया था लेकिन फिर भी यह सुनिश्चित किया गया की भूमि का इस्तेमाल सही और समयबद्ध तरीके से हो सके। खंडूड़ी सरकार के सख्त कदम सरकार के समय औद्योगिक पैकेज मिलने से राज्य में जमीन को खरीदना और बेचना बहुत ज्यादा बढ़ने लगा था लेकिन धीरे-धीरे राज्य में जमीन का इस्तेमाल गलत दिशा में होने लगा था उद्योग के लिए खरीदी हुई जमीन का इस्तेमाल आवासीय मकसद से होने लगा था जिससे कि राज्य में नियोजित विकास और भूमि की बर्बादी की घटना सामने आने लगी थी इस विरोध को देखते हुए साल 2007 में जनरल की सरकार ने भू कानून को और बनाने का फैसला किया गया था। जनरल की सरकार ने आवासीय मकसद से भूमि को खरीदने और सीमा को घटकर 500 वर्ग मीटर से 250 वर्ग मीटर तक कर दिया गया था साथी अन्य प्रावधानों में भी संशोधन करके भूमि के अनुयोजित इस्तेमाल पर भी रोग लगने की कोशिश की थी इससे राज्य में बाहरी लोगों के जरिए अंधाधुन भूमि को खरीदने पर लगाम लगी और स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा भी हो सके। त्रिवेंद्र सरकार के समय में कानून में ढील त्रिदेव सिंह रावत के सरकार ने 2017-18 मैं भू कानून मैं कुछ देर लेने का फैसला किया गया औद्योगिक के वजह से बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होंने पहाड़ी क्षेत्र में जमीन को खरीदने की सीमा को हटा दिया और किसानों के लिए जरूरी शर्तों को भी खत्म कर दिया इसके साथ ही किसी भूमिका वह इस्तेमाल बदलना आसान कर दिया गया इसके तहत पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में भूमि का इस्तेमाल उद्योगों के लिए आसानी से किया जा सकता है हालांकि इस फैसले के वजह से भूमि की सुरक्षा और सही इस्तेमाल को लेकर के सवाल उठने लगे थे। धामी सरकार की भूमि कानून पर नई पहल साल 2022 में भू कानून को लेकर के मांग बहुत तेजी से हो गए थे उत्तराखंड की भूमि को बाहरी लोगों के कब्जे से बचाने के लिए और इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए लोगों ने अपनी आवाज को उठाया इस पर मुख्यमंत्री ने बहुत जरूरी कदम उठाते हुए पहले मुख्य सचिव के अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया इस समिति ने 5 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सॉफ्टवेयर हुए भूमि के कानून को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए 23 सिफारिश से भी दी। समिति की सिफारिश का अध्ययन करने के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय फ्लावर समिति का भी गठन किया था इस समिति का प्रथम उद्देश्य राज की भूमि की सुरक्षा और इसका सही इस्तेमाल हो उसे सुनिश्चित करना था सरकार ने यह अभी आदेश दिया था कि कृषि और बागवानी के लिए भूमि को खरीदने से पहले खरीदार और विक्रेता का सत्यापन किया जाएगा ताकि भूमि का सही इस्तेमाल सही तरीके से हो सके इसका गलत तरीके से इस्तेमाल ना हो। धामी सरकार की भावी रणनीति सरकार अब एक वृहद भू कानून को लाने की तैयारी में लग गई है जिसका लक्ष्य राज्य की भूमि को बाहरी कब्ज से बचाना है इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना है और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना है इस कानून के साथ भूमि को खरीदने और बेचने के नियमों को और भी मजबूत किया जा सकता है ताकि राज्य की भूमि बाहरी लोगों के हाथों में ना जा सके और स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा भी हो सके। इसके साथ ही औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भूमि के कानून में कुछ भूल भी दे सकती है लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा की भूमि का इस्तेमाल सही सिर्फ उसी लक्ष्य के लिए हो रहा है जिसके लिए इसे खरीदा गया है इस कदम से राज्य में विकास और भूमि की के बीच संतुलन बनाए रखने की पूरी कोशिश की जाएगी।