You are here
Home > Breaking न्यूज़ > फिजिकल कंप्यूटरों की उपयोगिता खत्म कर देगी ‘क्लाउड कंप्यूटिंग’

फिजिकल कंप्यूटरों की उपयोगिता खत्म कर देगी ‘क्लाउड कंप्यूटिंग’

http://apratechsolutions.com/

अशोका इंस्टीट्यूट पहुंचे ‘अमेजान वेब सर्विसेज’ के ब्रांड एंबेस्डर वरुण कुमार मानिक ने कहा, क्लाउड के क्षेत्र में हैं नौकरियों की अपार संभावनाएं

वाराणसी। अमेजान वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) के ब्रांड एंबेस्डर एवं साउस-ईस्ट एशिया में डिलाइट कंपनी के मैनेजर वरुण कुमार मानिक ने कहा कि क्लाउड कंप्यूटिंग के चलते आभासी दुनिया तेजी से बदल रही है। इसके उपयोग से वर्चुअल डेस्कटाप का ऐसा दौर शुरू होगा, जिससे फिजिकल कंप्यूटरों की उपयोगिता पूरी तरह खत्म हो जाएगी। आसानी यह होगी कि क्लाउड कंप्यूटिंग से कहीं भी और किसी भी डिवाइस से कोई भी काम किया जा सकेगा। क्लाउड की महत्ता के चलते फिजिकल लोकेशन की बाध्यता पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

श्री मानिक अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट पहड़िया में क्लाउड कंप्यूटिंग पर इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे। क्लाउड कंप्यूटिंग के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में नौकरियों की अपार संभावनाएं हैं। क्लाउड स्पेशलिस्ट बनकर स्टूडेंट्स अपना करियर संवार सकते हैं। सिर्फ दो मिनट में एक वर्चुअल सर्वर लांच करते हुए श्री मानिक ने एक वेब अप्लीकेशन लांच किया, जो समूची दुनिया के लिए उपलब्ध था। क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये वर्चुअल सर्वर की लांचिंग प्रणाली को समझाते हुए उन्होंने कहा कि आने वाला दौर क्लाउड का होगा, जिससे आभासी दुनिया में बहुत कुछ बदल जाएगा। क्लाउड टेक्नॉलजी का उपयोग कर हम अपने स्टोरेज, पैसा, समय को बचा सकते हैं। अमेरिका समेत यूरोप के ज्यादातर देशों में 60 फीसदी लोग क्लाउड सर्विस पर भरोसा करते हैं। इस पर बिज़नेस संबंधी डाटा व यूज़र्स का डाटा पूरी तरह सुरक्षित रहता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग से हम अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर में अपनी वीडियो, डॉक्यूमेंट, पिक्चर को सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि अमेजन वेब सर्विसेज, गूगल क्लाउड प्लेटफार्म, माइक्रोसाफ्ट एज्योर और ओरेकल क्लाउड प्रदाता कंपनियां हैं, जो किराये पर अपनी सेवाएं देती हैं। इससे कम खर्च में यूजर्स के डाटा को स्टोर, मैनेज, सुरक्षित रखा जाता है। क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित है।

क्लाउड कंप्यूटिंग के विशेषज्ञ मानिक ने कहा कि यह एक सर्वर टेक्नोलॉजी है, जिसे इंटरनेट के जरिए एक्सेस किया जाता है और उसमें बिजनेस और यूजर संबंधी डाटाबेस और एप्लीकेशन को स्टोर किया जाता है। उसे हम कहीं भी लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल में देख या डाउनलोड कर सकते हैं। जब भी हम वेब ऐप का उपयोग कर उसमें ईमेल से लॉग-इन करते हैं तो सर्वर से सारी जानकारी हमें अपने मोबाइल, कंप्यूटर पर मिल जाती है। उन्होंने कहा कि क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स आपके डाटा को सुरक्षित रखते हैं, जिसे चुराने अथवा लीक होने जैसी कभी कोई समस्या नहीं आती है। ये सर्वर हमेशा अपनी सिक्योरिटी को अपडेट करते रहते हैं। अच्छी बात यह है कि अगर आपका डाटा क्लाउड से मिट जाता है तो भी वह कुछ दिनों तक सर्वर पर मौजूद रहता है, जिससे बैकअप लिया जा सकता है।

क्लाउड कंप्यूटिंग सर्वर की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए मानिक ने कहा कि पब्लिक, प्राइवेट, हाइब्रिड और किसी विशेष समूह के लिए क्लाउड सर्विसेज दी जाती है। पब्लिक क्लाउड सबके लिए होता है, जबकि प्राइवेट क्लाउड में रिसोर्स का उपयोग सिर्फ एक ही व्यक्ति कर सकता है। हाइब्रिड क्लाउड में प्राइवेट और पब्लिक दोनों ही एक दूसरे के डाटा को शेयर कर सकते हैं अथवा यह सुविधा यूजर्स को दे सकते हैं। कम्युनिटी क्लाउड की सेवाएं एक समूह के लिए होती है। वह समूह हेल्थ केयर, ऑटो, मीडिया, फाइनेंस सर्विस से संबंधित हो सकता है। अगर यूजर को ज्यादा डाटा स्टोर करना है तो वह प्रदाता कंपनियों को शुल्क देकर अपने हिसाब से क्लाउड स्टोरेज को बढ़ा या घटा सकता है।

मानिक ने यह भी कहा कि क्लाउड कंप्यूटिंग की इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस में यूजर्स कंप्यूटर रिसोर्सेज का उपयोग कर नई ऐप और सर्विस को बना सकते हैं। किसी भी नए ब्लॉग या वेबसाइट को बनाने पर उसको होस्ट करने के लिए सर्वर की जरूरत होती है। ऐसे में क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस प्रोवाइडर बेहतरीन स्पीड और सुरक्षा के साथ सबसे ज्यादा उपयोग में लाए जाते हैं। इंस्टाग्राम व नेटफ्लिक्स जैसे ऑडियो स्ट्रीमिंग ऐप की सेवाएं हमें क्लाउड सर्विस के जरिए मिलती हैं। उन्होंने कहा कि डाटा सेंटर बनाने पर खर्च बहुत ज्यादा होता है, इसलिए ज्यादातर कंपनियां, क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर से सर्वर खरीद लेती हैं। दुनिया के सभी बड़े विश्वविद्यालय और बड़े कॉलेज स्टूडेंट्स की सभी जानकारी और प्रश्नपत्र आदि क्लाउड पर ही सुरक्षित रखते हैं। ऑनलाइन एग्जाम में इस सर्विस का सर्वाधिक उपयोग किया जा रहा है। क्लाउड कंप्यूटिंग में वर्चुअलाइजेशन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। इसी वजह से कोरोना महामारी के दौर में क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी। क्लाउड कंप्यूटिंग की किसी भी ऐप या वेब ब्राउज़र सर्विस का उपयोग करते हुए यूजर को उसमें अनलिमिटेड स्टोरेज मिलता है, जिसमें आप सर्विस के अनुसार उतना क्लाउड स्टोरेज किराए पर ले सकते हैं। इसमें कई तरह के ऐप भी मुफ्त में मिल जाते हैं, जिसके लिए कोई भी पैसा देना नहीं पड़ता।

श्री मानिक ने कहा कि हर स्मार्टफोन में हर प्रकार के डाटा का बैकअप लेने की सुविधा है, जो क्लाउड कंप्यूटिंग का ही हिस्सा है। क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर क्लाउड कंप्यूटिंग सर्वर पर मौजूद डाटा को हैकर्स और स्पैमर्स से सुरक्षित रखते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा इतना सुरक्षित होता है जिसे क्रैक कर पाना नामुमकिन होता है। यही वजह है कि क्लाउड पर बिजनेस कंपनियों और इंटरनेट यूजर का भरोसा होता है। भविष्य में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग आज से कई गुना बढ़ जाएगा, जिसका उपयोग यूटिल्टी की तरह होगा। इसलिए इसमें करियर बनाने के ज्यादा अवसर ज्यादा हैं। उन्होंने युवाओं को सलाह दिया कि वे लिंकडिंक पर अपनी प्रोफाइल डालें और रोजगार का अवसर हासिल करें।

इससे पहले अशोका इंस्टीट्यूट में पहुंचने पर कंप्यूटर साइंस की विभागाध्यक्ष डा.प्रीति कुमारी और डा.वंदना दुबे ने वरुण कुमार मानिक का स्वागत और प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर इंस्टीट्यूट के शिक्षक कविता पटेल, सोनी ओझा, अभय कुमार मौर्य, अर्जुन मुखर्जी, अरविंद कुमार, गौरव ओझा, अंकुर श्रीवास्तव के अलावा इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स मौजूदा थे।

Leave a Reply

Top